हर इंसान से जाने अनजाने में किसी ना किसी प्रकार की गलती हुई जाती है उसे जब अपनी गलती का एहसास होता है तब तक समय निकल चुका होता है अपनी गलती का पश्चाताप करने के लिए कोई गंगा स्नान करता है कोई कुछ करता है कोई मंदिर देवालय जाता है अपने पाप को पश्चाताप करने के लिए शिवजी के इन 12 नामों का जाप करें.(shiv dwadash jyotirlinga stotram).
प्रातः काल उठकर इस मंत्र का जाप करने से मन तन पवित्र होता है
Shiv ke 12 jyotirling ki jankari in Hindi 2021(shiv dwadash jyotirlinga stotram)
मित्रों धरती का पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ जो कि गुजरात सौराष्ट्र में स्थित है यह सौराष्ट्र का ही नहीं बल्कि भारत का प्रसिद्ध मंदिर है.
शिव पुराण के अनुसार राजा प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा को छह रोग होने का श्राप दे दिया था चंद्रमा द्वारा इस स्थान पर भगवान शिव को प्रसन्न किया गया तथा शिव ने उन्हें दर्शन देकर श्राप मुक्त किया माना जाता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रमा द्वारा की गई थी.
दूसरा ज्योतिर्लिंग--
आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थिर इस ज्योतिर्लिंग को मल्लिकार्जुन के नाम से मंदिर का महत्व
कैलाश पर्वत के समान माना जाता है यहां भगवान शिव स्वयं निवास करते हैं कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.
तीसरा ज्योतिर्लिंग :-
महाकालेश्वर जो महाकाल के नाम से भी प्रसिद्ध है भारत के मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित है महाकालेश्वर धरती का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है पूरे विश्व में यहां की भस्म आरती प्रसिद्ध है.
इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए और भस्म आरती को देखने के लिए लाखों लोग आते हैं ऐसा माना जाता है कि महाकालेश्वर के दर्शन करने से आयु बढ़ती है और उसके रोग दूर होते हैं.
चौथा ज्योतिर्लिंग:-
जो ओमकारेश्वर है जो कि भारत के मध्य प्रदेश मैं इंदौर शहर के पास स्थित है जहां पर ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है वहां पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ों के चारों और बहती है और पहाड़ों के चारों ओर बहने पर यहां ओम का आकार बनता है कहते हैं कि ॐ की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मुख से हुई थी अतः यह शिवलिंग भी उनका आकार लिए हुए हैं.
पांचवा ज्योतिर्लिंग:-
उत्तराखंड के केदारनाथ को भगवान के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है यह मंदिर बाबा केदारनाथ के नाम से प्रसिद्ध है यह बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है अतः यहां भी लाखों की संख्या में लोग भगवान केदारनाथ का दर्शन करने के लिए जाते हैं.
छठवां ज्योतिर्लिंग:-
भीमाशंकर महाराष्ट्र के पुणे जिले में sihardh नाम का एक पर्वत है और इसी पर्वत पर स्थित है यह ज्योतिर्लिंग ऐसा माना जाता है कि भक्त यहां सूर्योदय के पश्चात आते हैं और ऐसा माना जाता है कि उनके साथ हो जन्मों के पाप धुल जाते हैं और स्वर्ग का मार्ग खुल जाता है.
सातवां ज्योतिर्लिंग:-
स्थित है उत्तर प्रदेश के काशी में और काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे प्रसिद्ध धर्म स्थल माना जाता है और इस ज्योतिर्लिंग को काशी विश्वनाथ के नाम से जाना जाता है ,और ऐसा माना जाता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा क्योंकि इस स्थान की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं.
त्रिंबकेश्वर महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के करीब स्थित है से त्रंबकेश्वर के नाम से जाना जाता है और यही पास में ब्रह्मा गिरी पर्वत स्थित है और यही पर्वत गोदावरी नदी का उद्गम स्थान है कहते हैं भगवान शिव ने गौतम ऋषि को दर्शन दिए थे और गौतम ऋषि के आग्रह पर भगवान शिव वही शिवलिंग के रूप में विराजमान हो गए.
नवा ज्योतिर्लिंग:-
बैद्यनाथ यह स्थान पूर्व में बिहार एवं वर्तमान में झारखंड राज्य में संत ना परगना दुमका नामक जनपद पर स्थित है इसे बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है यहां भी लोग हजारों लाखों की संख्या में दर्शन के लिए आते हैं.
दसवां ज्योतिर्लिंग:-
गुजरात के भारी क्षेत्र द्वारिका स्थान में स्थित है इसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है भगवान शिव का एक नाम नागेश्वर भी है यह स्थान द्वारिकापुरी से लगभग 17 किलोमीटर दूर है ऐसा माना जाता है कि यह ज्योतिर्लिंग मनोकामना को पूरा करता है कोई भी श्रद्धालु यहां पर अपनी श्रद्धा भाव से आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है
11 वा ज्योतिर्लिंग:-
रामेश्वरम तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम स्थान पर स्थित है यह ज्योतिर्लिंग हिंदुओं के चार धामों में से एक माना जाता है कहा जाता है कि रावण से युद्ध करने करने से पहले इस ज्योतिर्लिंग की की पूजा अर्चना रावण द्वारा श्री राम जी से करवाई गई थी यहां भी लाखों करोड़ों की संख्या में दर्शा लू दर्शन करने के लिए आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती.
12 वा ज्योतिर्लिंग:-
अंतिम ज्योतिर्लिंग जोकि महाराष्ट्र के संभाजी नगर के पास daulta मैं स्थित है यह महाराष्ट्र का सबसे प्रसिद्ध मंदिर घृष्णेश्वर के नाम से जाना जाता है.
shiv dwadash jyotirlinga stotram 2021(dwadash jyotirlinga stotram in sanskrit or Hindi)
-:द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र:-
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्|
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्ण तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ॥१॥
हिंदी अर्थ:-. जो शिव अपनी भक्ति और कृपा देने के लिए दया पूर्ण अवतरित हुए तथा चंद्रमा जिनके मस्तक का आभूषण बना हुआ है उन ज्योतिर्लिंग भगवान शिव स्वरूप उनकी शरण में जाता हूं
श्रीशैलशृङ्गे विबुधातिसगे तुलाद्वितुङ्गेऽपि मुदा वसन्तम्|
तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम् ॥२॥
हिंदी अर्थ:- ऊंचाई के आदर्श भूत पर्वतों से भी बढ़कर ऊंचे श्री शैल के पर्वत पर विराजे है यहां देवताओं का अनंत समागम है प्रसन्नता पूर्वक निवास करते हैं जो संसार के सागर से पुल की तरह पार कराने वाले हैं उन एकमात्र मल्लिकार्जुन को मैं शत शत नमन करता हूं
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम् ।
अकालमृत्योः परिरक्षणार्थ वन्दे महाकालमहासुरेशम् ||३||
हिंदी अर्थ:- संत जनों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए जिन्होंने अवंत पूरी अर्थात उज्जैन में अवतार धारण किया है उन महाकाल के नाम से विख्यात महादेव जी को अकाल मृत्यु से बचाने के लिए शत शत प्रणाम करता हूं
कावेरिकानर्मदयोः पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय ।
सदैवमान्धातृपुरे वसन्तमोकारमीशं शिवमेकमीडे ||४||
हिंदी अर्थ:-जो सत्य पुरुषों को इस संसार सागर से पार लगाने के लिए नर्मदा और कावेरी के पवित्र संगम स्थान मांधाता के पूर में निवास करते हैं उन अद्वितीय भगवान शिव श्री ओमकारेश्वर को मैं स्तवन करता हूं
पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम् ।
सुरासुराराधितपादपा श्रीवैद्यनाथ तमहं नमामि
हिंदी अर्थ:-जो पूर्वोत्तर दिशा में चिता भूमि के भीतर सदा ही गिरिजा के साथ वास करते हैं और और देवता और असुरों जिन के चरण कमलों की आराधना करते हैं उन श्री भगवान बैद्यनाथ के चरणों में शत शत प्रणाम करता हू
याम्ये सदङ्ग नगरेऽतिरम्ये विभूषिताङ्ग विविधैश्च भोगैः ।
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथ शरणं प्रपद्ये||6||
हिंदी अर्थ:- जो दक्षिण के अत्यंत रमणीय सदंग विभिन्न भोमा से संपन्न है और वह विभिन्न प्रकार के आभूषणों से सुशोभित हो रहे हैं जो एकमात्र सद भक्ति और मुक्ति देने वाले उन प्रभु श्री नागनाथ की शरण में जाता हूं
महाद्रिपार्श्वे च तट रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः ।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाौ: केदारमीशं शिवमेकमीडे ।|7।।
हिंदी अर्थ:-जो शिव महागिरी हिमालय की निकट केदार संघ के तट पर सदा निवास करते हैं और मुनियों द्वारा पूजित होते हैं तथा देवता असुर यज्ञ महान सर्फ भी जिनकी पूजा अर्चना करते हैं एक कल्याणकारी भगवान श्री केदारनाथ के चरणों में शत-शत नमन करता हूं.
सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरितीरपवित्रदेशे |
यदर्शनात्पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे ॥८॥
हिंदी अर्थ:- जो शिव गोदावरी तट के पवित्र सहा पर्वत की विमल शिखर पर वास करते हैं जिनके दर्शन मात्र से ही पापों का नाश हो जाता है शिव श्री त्रंबकेश्वर के चरणों में शत शत प्रणाम करता हूं
सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यैः ।
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि ||९||
हिंदी अर्थ:- जो भगवान श्री रामचंद्र जी के द्वारा ताम्रपर्णी और सागर के संगम में अनेक बानो द्वारा पुल बनाकर स्थापित किए गए हैं उन प्रभु रामेश्वर जी को मैं शत शत नियमित रूप से नमन करता हूं.
यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च ।
सदैव भीमादिपदप्रसिदं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि ॥१०॥
हिंदी अर्थ:-जो डाकिनी और शाकिनी वृंद में प्रेतों द्वारा सदैव सेवित होते हैं भक्ति हितकारी भगवान भीमाशंकर को मैं शत-शत प्रणाम करता हूं.
सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम् ।
वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये ॥ ११ ॥
हिंदी अर्थ:-जो शिव आनंदकंद हैं और आनंद पूर्वक आनंदवन अर्थात वर्तमान में काशी मैं निवास करते हैं जो पापों के समूह का नाश करने वाले हैं उन अनाथो के नाथ काशी पति श्री विश्वनाथ की चरणों में प्रणाम करता हूं
इलापुरे रम्पविशालकेऽस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम् ।
वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णेश्वराच्यं शरणम् प्रपद्ये ॥१२॥
हिंदी अर्थ:-जो शिव इलापुर के सुरम्य मंदिर में विराजित होकर समस्त जगत के पापों का नाश करते हैं तथा जिन का स्वभाव बड़ा ही उदार है उन घृष्णेश्वर नामक शिवलिंग के चरणों में शत शत नमन करता हूं
ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानां शिवात्मनः प्रोक्तमिदं क्रमेण |
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच ॥ १३ ॥
हिंदी अर्थ:-यदि मनुष्य क्रमशः कहे गए द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र का भक्ति पूर्ण पाठ करता है तो तो जातक के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.
||इति द्वादश ज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रं संपूर्णम्||
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