[Download] daridra Dahan Shiv Stotra in Hindi|दारिद्रय दहन स्तोत्र के फायदे?| स्थिर लक्ष्मी कब, शुरू करें?


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  दरिद्र दहन स्तोत्र का बड़ा ही अद्भुत स्त्रोत्र है  जो लोग गरीबी मैं है या किसी  विशेष रोग से ग्रसित हो दुख आदि से पीड़ित रहते हैं 

तथा उनको कोई उपाय सामने दिखाई नहीं देता और उनकी काफी मेहनत ऐसे लगता है जैसे कि उनकी मेहनत व्यर्थ जा रही  सब कुछ होती हुई घर में अशांति बनी रहती है काफी सारे लोग ऐसे होते हैं जिनके पास काफी धन होता है लेकिन फिर भी वह कर्जे से गिरे रहते हैं और धन टिकता नहीं है

 धन का अभाव बना रहता है यह स्त्रोत भगवान शिव की कृपा से ग्रस्त व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण करता है|

प्राचीन समय में मुगलकालीन एक फकीर हुए वे महाराजा के दरबार में जाकर उन्हें शेर सुनाया करती और उस शेर की माध्यम से वे महाराजा की तारीफ किया करत थ|

 इस कार्य के लिए उन्हें कुछ अशरफिया मिल जाया करती थी जिससे वह अपने घर को चलाया करते थे और उनका आधे से ज्यादा जीवन महाराजा की शेर सुनाने में गुजर गया और वह कहता है कि की मैं जिस राजा का नमक खाता था उसी के लिए मैंने पूरी जिंदगी भर कार्य किया वह एक संत और फकीर थे फिर भी उन्होंने राजा के दरबार में कार्य किया और उन्होंने का काफी गरीबी का सामना किया और काफी दरिद्रता का सामना किया

                  इसी प्रकार की गरीबी को दूर करने के लिए और सभी प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए महा मुनि वशिष्ट जी ने दारिद्रय दहन स्तोत्र की रचना की जो  शिव जी का सबसे उत्तम स्त्रोत्र में से एक है

  दारिद्रय दहन स्तोत्र का पाठ कैसे करें और दरिद्र दहन स्त्रोत के फायदे क्या हैं दारिद्रय दहन स्तोत्र का हिंदी अर्थ क्या है इसका पाठ कब प्रारंभ करना चाहिए और हम दरिद्र दहन स्त्रोत का यदि 100 बार पाठ करते हैं तो क्या होगा की क्या विधि है कैसे करें दारिद्रय दहन स्तोत्र की सहायता से स्तर लक्ष्मी की प्राप्ति कैसे करते हैं और दरिद्र दहन स्त्रोत की पीडीएफ आपको फ्री में उपलब्ध है|

 

 दारिद्रय दहन स्तोत्र के फायदे:-


  • दरिद्र दहन स्त्रोत गरीबी को तो दूर करता ही है और सभी प्रकार के रोगों को दूर करता है|

  • दारिद्रय दहन स्तोत्र का पाठ करने एवं विधि विधान से कराने से व्यापार में वृद्धि होती है और सारी परेशानियां दूर होने लगती हैं|

 दरिद्र दहन स्त्रोत भगवान शिव का ऐसा स्त्रोत है जो कम से कम समय में अपना असर दिखाने लग जाता है|

  • दरिद्र दहन स्तोत्र भगवान शिव का स्त्रोत है इसीलिए यह है यह दरिद्रता और गरीबी को दूर करता ही है यह मन की दरिद्रता को भी दूर करता है|

  •  श्री वशिष्ठ जी द्वारा रचित इस स्त्रोत के माध्यम से श्री वशिष्ठ जी ने बताया है कि जो व्यक्ति इस स्त्रोत्र का नियमित रूप से तीनों समय सुबह दोपहर और शाम जो पाठ करता है उस व्यक्ति को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है|
 
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             -:श्री शिव दारिद्रय दहन स्तोत्र:-


     श्री शिव दारिद्रय दहन स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
    

(daridra Dahan Shiv Stotra in Hindi)


  विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।

कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय दरिद्र दुख दहनाय नमः शिवाय ॥ १॥

हिंदी अर्थ:- समस्त चराचर विश्व के स्वामी रूपी विश्वेश्वर, इस नरक रूपी संसार से उद्धार करने वाले, कानों से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले, अपने भाल पर चंद्रमा को आभूषण के रूप में धारण करने वाले, कपूर की कांति के समान धवल वर्ण वाले, जटाधारी दरिद्र रूपी दुखों का विनाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार.

 

 गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।

गंगाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ २॥

  हिंदी अर्थ:- mata गौरी के अत्यन्त प्रिय, रजनीश्वर

(चन्द्रमा) की कला को धारण करने वाले, काल के भी

अन्तक (यम) रूप, नागराज को कंकणरूप में धारण

करने वाले, अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने

वाले, गजराज का विमर्दन करने वाले और

दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा

नमस्कार है।।२।।

  भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।

ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ३॥

हिंदी अर्थ:- भक्तिप्रिय, संसाररूपी रोग एवं भय के

विनाशक, संहार के समय उग्ररूपधारी, दुर्गम

भवसागर से पार कराने वाले, ज्योति:स्वरूप, अपने

गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले तथा

दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा

नमस्कार है।।३।।


चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।

मंझीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ४॥


हिंदी अर्थ:- बाघ की चमड़ी को धारण करने वाले, चिता भस्म को लगाने वाले,भालमें तीसरा नेत्र धारण करने वाले,जो मणियों के कुंडल से सुशोभित हैं, अपने चरणों मेंअपने चरणों में नूपुर धारणकरने वाले और जटाधारी और दरिद्रता रूपी दुख को दूर करने वाले शिव को मेरा शत-शत नमन है


 पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय ।

आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ५॥

हिंदी अर्थ:- पांच मुख वाले, नागराज रूपी आभूषणों से सुशोभित, स्वर्ण के समान वस्त्र वाले अर्थात स्वर्ण के समान किरण वाले,तीनों लोकों में पूजित,

आनन्दभूमि (काशी) को वर प्रदान करने वाले,सृष्टि

के संहार के लिए तमोगुणाविष्ट होने वाले तथा

दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा

नमस्कार है।।५।।


 भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।

नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ६॥

  

हिंदी अर्थ:- सूर्य को अत्यंत प्रिय अथवा जो सूर्य के अत्यंत प्रेमी हैं, भवसागर से उद्धार करने वाले हैं, और जो काल के लिए भी महाकाल है,कमलासन (ब्रह्मा) से सुपूजित, तीन

नेत्रों को धारण करने वाले, शुभ लक्षणों से युक्त or दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा

नमस्कार है।।५।।


 रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।

पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ७॥


हिंदी अर्थ:-  मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी को अत्यंत प्रिय अथवा राम जी से प्रेम करने वाले, रघुनाथ जी को भर देने वाले, जो सर्पों के अत्यंत प्रिय हैं, भवसागर रुपी नर्क से तारने वाले, पुण्य वालों में अत्यंत वाले पुण्य वाले, समस्त

देवताओं से सुपूजित दरिद्रता रूपी दुख को दूर करने वाले भगवान शिव को मेरा शत-शत प्रणाम.


मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।

मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ८॥


 -मुक्तजनों के स्वामीरूप,चारों पुरुषार्थ का फल देने वाले,प्रमथादिगणों के स्वामी, स्तुतिप्रिय,

नन्दीवाहन, गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले,

महेश्वर तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान

शिव को मेरा नमस्कार है


        फल श्रुति -

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणं ।

सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ।

त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्  दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ९॥


 ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्त्रोत्र सभी प्रकार के रोग दोषों को दूर करने वाला है, शीघ्र ही समस्त प्रकार की संपत्ति को प्रदान करने वाला है| और पुत्र-पौत्रादि वंश-परम्परा

 को बढ़ाने वाला है।इस स्त्रोत का पाठ जो भी मनुष्य सच्चे हृदय से सचिन नशे पर तीनों कालों में तीनों समय में करता है तो उसको स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है|दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक

भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।९।।


॥ इति श्रीवसिष्ठविरचितं दारिद्यदहनशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥


   daridra dahan shiv stotra/Lyrics (दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र अंग्रेजी में )


     

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 vishveshvaraya narakarnava taranaya

karnamrutaya shashishekhara dharanaya|

karpurakantidhavalaya jatadharaya

daridrya duhkhadahanaya namah shivaya||


gauripriyaya rajanishakaladharaya

kalantakaya bhujagadhipankanaya|

gangadharaya gajarajavimardanaya

daridrya dukhadahanaya namah shivaya||


bhaktipriyaya bhavarogabhayapahaya

ugraya durgabhavasagarataranaya|

jyotirmayaya gunanamasunutyakaya

daridrya duhkha dahanaya namah shivaya||


charmambaraya shavabhasmavilepanaya

bhalekshanaya manikundala manditaya|

manjirapadayugalaya jatadharaya

daridrya duhka dahanaya namah shivaya||



panchananaya phaniraja vibhushanaya

hemamshukaya bhuvanatrayamanditaya|

anandabhumivaradaya tamomayaya

daridrya duhka dahanaya namah shivaya||5||



bhanupriyaya bhavasagarataranaya

kalantakaya kamalasanapujitaya|

netratrayaya shubhalakshana lakshitaya

daridrya duhka dahanaya namah shivaya||



ramapriyaya raghunathavarapradaya

nagapriyaya narakarnavataranaya|

punyeshu punyabharitaya surarchitaya

daridrya duhka dahanaya namah shivaya||


mukteshwaraya phaladaya ganeshwaraya

gitapriyaya vrushabheshwara vahanaya|

matangacharmavasanaya maheshwaraya

daridrya duhka dahanaya namah shivaya||


Vasishtena Krutham stotram,

Sarva Sampathkaram param,

Trisandhyam ya padenithyam,

Sa hi swargamavapnyuth.


This prayer composed by sage Vasishta,

Is one which gives all types of wealth,

And whoever chants it at dawn, noon and dusk,

Would enjoy the pleasures of heaven.


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Ram ji ke adbhut mantr


  

     daridra dahan shiv stotra की पूजा करने की विधि


 

विधि :-

Samagri

वैसे तो भोले बाबा की पूजा विधि एकदम सरल होती है और आप गंगाजल बेल पत्थर अक्षत चंदन और आप पर जो भी सामग्री उपलब्ध हो उसका आप प्रयोग कर सकते हैं

  • सर्वप्रथम आप भोले बाबा के मंदिर जाएं और उन्हें उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं और उन पर चंदन लगाएं और बेलपत्र चढ़ाकर भगवान शिव से अपनी समस्या को उन्हें बताएं

 

  •  और आपको शिवलिंग के पास बैठ कर के दरिद्र दहन स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करना है वैसे तो दरिद्र दहन स्त्रोत की शास्त्रों में काफी वर्णन किया गया है ऐसा कहा गया है कि जो व्यक्ति एक मुट्ठी चावल लेकर शिव भगवान पर चढ़ा देता है, दरिद्र दहन स्त्रोत का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है


  जो व्यक्ति कर्ज से परेशान हैं वह  शिव भगवान पर लाल फूल को अर्पण करें,और एक लोटे में गुड़ मिलाकर शिव भगवान पर अर्पण करें और इस मंत्र का जाप करें ऊं ऋणमुक्तेश्वराय

नमः शिवाय का जाप

करें


विशेष बात इसमें यही है कि आपके घर में भोले बाबा की प्रतिमा मूर्ति इत्यादि होगी लेकिन आपको अधिक होने की प्राप्ति करनी है तो आप मंदिर अवश्य जाएं क्योंकि आप जानते हो कि जो स्थान इसके लिए होता है वह है वही के लिए असरकारक होता है तो आप मंदिर जाकर ही इसका पाठ करें तो अत्यधिक फलकारी रहेगा

 दरिद्र दहन स्त्रोत से संबंधित कुछ प्रश्न (FAQ daridra Dahan Shiv Stotra in Hindi)

Q.1 which day to start daridra Dahan strot?
दरिद्र दहन स्तोत्र किस दिन शुरू करें?

Ans-

दारिद्रय दहन स्तोत्र का पाठ वैसे तो आप किसी भी सोमवार से प्रारंभ कर सकते हैं परंतु किसी विशेष प्रकार के लिए आप महा शिवरात्रि से प्रारंभ करें तो अति उत्तम होगा|

Q.2 अगर हम दरिद्र दहन स्तोत्र को 100 बार पढ़ेंगे तो क्या होगा?
we read daridra Dahan stotra 100 times what will happen


Ans-

यदि हम दारिद्रय दहन स्तोत्र का पाठ 100 बार करने पर शीघ्र ही फल की प्राप्ति होती है इसके लिए आपको तीनों समय पर शिव भगवान के मंदिर जाकर मनसे दारिद्रय दहन स्तोत्र का पाठ करना होगा



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