शिव जी को सृष्टि का नियंत्रक कहा जाता है यह जो सृष्टि है इसके रचयिता भगवान शिव को कहा जाता है
और इस सृष्टि
की रचना पांच तत्वों से मिलकर हुई है पृथ्वी जल अग्नि वायु आकाश तथा इन्हीं पांच तत्वों को मिलाकर कि हमारा शरीर का निर्माण होता है
अतः शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के मुख से ढाई लाख मंत्रों का निर्माण हुआ है तथा उनमें से ही एक भगवान शिव का यह स्त्रोत्र है
इसी प्रकार भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र है इसका निर्माण भी भगवान शिव के मुख से हुआ था
शिव पंचाक्षर स्त्रोत(shiv panchakshar stotra lyrics) की रचना आदि शंकराचार्य द्वारा की गई है स्त्रोत्र का निर्माण नमः शिवाय के 5 अक्षरों से हुआ है इस स्त्रोत के माध्यम से शिव भगवान के स्वरूप का वर्णन आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया है
स्तोत्र अर्थ:- शिव जिनके गले में माला के रूप में सांपों का हार है जिनके मुख पर तीन नेत्र हैं और भस्म ही जिनका अनु लेपन है और सभी दशाएं जिनके वस्त्र हैं अर्थात दशाओं को वह वस्त्र के रूप में धारण किए हुए हैं उन अविनाशी महेश्वर न कार स्वरूप शिव को मैं प्रणाम करता हूं
नमः शिवाय का दूसरा अक्षर म
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय, तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
स्तोत्र अर्थ:- गंगा की धारा द्वारा शोभायमान,
चन्दन से अलंकृत,
नन्दीश्वर एवं प्रमथ के स्वामी,
महेश्वर (प्रमथ - शिव के गण अथवा पारिषद)
आप सदा मन्दार पर्वत से प्राप्त पुष्यों एवं,
बहुत से अन्य स्रोतों से प्राप्त पुष्यों द्वारा पुजित है।
हे "म" अक्षर धारी शिव आपको नमन है।
नमः शिवाय का तीसरा अक्षर शि
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
स्तोत्र अर्थ:-जो कल्याण स्वरूप हैं, पार्वती जी के मुख कमल को
विकसित (प्रसन्न) करने के लिये जो सूर्य स्वरूप हैं.
जो राजा दक्ष के यज्ञका नाश करने वाले हैं.
हे नीलकण्ठ, हे धर्म ध्वज धारी
आपके "शि" अक्षर द्वारा जाने जाने वाले स्वरूप को
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हे शिव, नमस्कार है
नमः शिवाय का चौथा अक्षर. व
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय, तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
स्तोत्र अर्थ:-वसिष्ठ, अगस्त्य, और गौतम आदि श्रेष्ठ ऋषि मुनियोंने तथा इन्द्र आदि देवताओंने जिन देवाधिदेव शंकरजी की पूजा की है। चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र है,
उन “व” कार स्वरूप शिव को, नमस्कार है।
नमः शिवाय का चौथा अक्षर. य
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
स्तोत्र अर्थ:- जिन्होंने यक्षरूप धारण किया है, जो जटाधारी हैं, जिनके
हाथ में पिनाक है, जो दिव्य सनातन पुरुष हैं, उन दिगम्बर देव
'य'कारस्वरूप शिव जी को नमस्कार है।
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
जो शिवजी के समीप अर्थात शिव के समीप बैठ कर के शिव पंचाक्षर स्त्रोत का जाप करता है वह शिवलोक को प्राप्त हो जाता है
शिव भगवान के पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र के अंतर्गत उनके मनमोहक सौंदर्य का वर्णन किया गया है
इसे सौंदर्य का वर्णन करने के लिए नमः शिवाय पंचाक्षरी मंत्र की सहायता से उनके सौंदर्य को वर्णित किया गया है
नमः शिवाय मंत्र का निर्माण भगवान शिव के मुख से हुआ है
तथा आदि शंकराचार्य द्वारा इस पंचाक्षरी स्तोत्र की रचना की गई है
इस स्त्रोत्र में अग्नि वायु जल आकाश पृथ्वी पांच तत्वों को शामिल किया जाता है
इन पांच तत्वों के द्वारा मनुष्य के शरीर का निर्माण होता है और इन पांच तत्वों को मिलाकर ही पृथ्वी का निर्माण होता है
अगर हमारे यह पांच तक संतुलित अवस्था में रहे तो वह व्यक्ति एक तेजस्वी ओजस्वी व्यक्ति हो जाता है ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति भगवान शिव के पंचाक्षरी स्त्रोत मंत्र का जाप करता है
उसे नित्य पड़ता है उस पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है
1. ओम नमः शिवाय पंचाक्षरी मंत्र अथवा स्त्रोत्र मोक्ष जाता है तथा इसके साथ साथ ही है विचारों में स्थिरता लाता है तथा यह हमारे आंतरिक विचारों को भी स्वच्छ और प्रबल करता है
2. इस स्त्रोत के द्वारा हमारे अवचेतन मन में एक विशेष प्रकार का कंपन उत्पन्न होने लगता है जो हमारे विचारों को तो शुद्ध करता ही है साथ ही साथ हमें खुश होने का अनुभव कराता है
3.शिवजी का पंचाक्षर स्त्रोत अथवा पंचाक्षर मंत्र एक ऐसा अद्भुत मंत्र है जो स्मरण शक्ति को तीव्र करता है जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता वह इस मंत्र अथवा स्त्रोत्र का मात्र 15 मिनट जाप करने से लाभ मिलता है
4.यह मंत्र अथवा स्तोत्र भगवान शिव का ऐसा स्त्रोत है जो मनुष्य की सभी प्रकार की पीड़ा को दूर कर देता है चाहे भावात्मक पीड़ा हो किसी भी प्रकार की पीड़ा क्यों ना हो उसे दूर कर देता
5. यह सकारात्मक वातावरण बनाने में और आप के आभामंडल को पवित्र और सकारात्मक बनाता है इस मंत्र के उच्चारण से निकलने वाली किरणें अथवा वाइब्रेशन आपकी चारों ओर के वातावरण को पवित्र और शुद्ध बना देते हैं.
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