मारुती स्तोत्र pdf|मारुती स्तोत्र के फायदे|bhimrupi hanuman stotra(मारुती स्तोत्र संपूर्ण)
हनुमान जी के बारे में अक्सर सभी लोग जानते हैं और सभी लोग जानते हैं कि वह कितने शक्तिशाली थे की शक्ति का वर्णन हनुमान चालीसा में भी किया गया है और वह अजर अमर है.
हनुमान जी साक्षात जीवित देवता है उनकी भक्ति से असंभव से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं.
हनुमान जी के भक्ति मात्र से भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं और हनुमान जी को कलयुग का देवता भी कहा जाता है जैसा कि शास्त्र कहते हैं कि हनुमानजी अजर अमर है और हनुमान जी अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता उन पर श्री राम जी की कृपा सदैव बनी रहती है.
आज हम ऐसे ही हनुमान जी के चमत्कारी स्त्रोत्र के बारे में आपको बताने जा रहे हैं यह मारुति स्त्रोत्र (bhimrupi hanuman stotra)है इस अद्भुत और चमत्कारिक मारुती स्तोत्र की रचना 17 वी शताब्दी के महान संत श्री रामदास स्वामी जी ने की है.
इस शक्तिशाली स्त्रोत के बारे में ऐसा बताया जाता है कि इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है साथ ही उसकी समस्त मनोकामना की पूर्ति होती है,नकारात्मक शक्तियों से दूर रखता है,और किसी भी प्रकार का कोर्ट केस हो ,कोई ग्रह दोष हो शत्रु भय हो आदि समस्त कार्यों में लाभकारी है.
मारुती स्तोत्र के बारे में आपको यहां पर सभी प्रकार की जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी आपसे अनुरोध है कि आप इसे पूरा पढ़ें और आपको पीडीएफ ऑडियो वीडियो उपलब्ध करा दी जाएगी.(bhimrupi maharudra lyrics)
(मारुती स्तोत्र के बारे में समस्त जानकारी)
मारुती स्त्रोत की उत्पत्ति कैसे हुई?
संपूर्ण मारुती स्तोत्र
मारुती स्तोत्र पाठ संस्कृत
भीमरूपी मारुती स्तोत्र के फायदे
मारुति स्रोत पढ़ने की विधि
मारुती स्तोत्र में बरती जाने वाली सावधानियां
मारुती स्त्रोत पीडीएफ ऑडियो वीडियो डाउनलोड
मारुती स्त्रोत की शुरुआत कैसे हुई थी(bhimrupi hanuman stotra)
मारुती स्त्रोत एक अद्भुत चमत्कारिक स्त्रोत्र है इस स्त्रोत की रचना 17 वीं शताब्दी में हुई थी और इसके रचयिता श्री श्री रामदास जी वे एक महान संत होने के साथ-साथ वीर शिवाजी के गुरु थे इस स्त्रोत का सर्वाधिक फल इसकी 11 सो जाप से प्राप्त होता है.
bhimrupi hanuman stotra(Maruti Stotra in Hindi translate)
-:संपूर्ण मारुती स्तोत्र:-
संपूर्ण मारुती स्तोत्र हिंदी अर्थ
भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।
महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।
दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।
लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।
ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।
ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।
पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।
ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।
कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।
आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।
अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।
ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।
आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।
धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।
भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।
हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।
रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।
।। इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।।
सभी भक्तों को सूचित किया जाता है कि जो भी व्यक्ति
यदि हिंदी में पाठ करना चाहता है तो इसे पढ़ लें अन्यथा संस्कृत में पाठ करने वाले के लिए नीचे लिखा गया है(संपूर्ण मारुती स्तोत्र)
मारुती स्त्रोत पाठ संस्कृत(Maruti stotra/ bhimrupi hanuman stotra in Sanskrit)
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते
प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।
प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।
भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।
ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।
मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे
श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।
हन हन हुं फट् स्वाहा॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥
मारुती स्तोत्र एक अद्भुत स्त्रोत्र है यह हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और अद्भुत स्त्रोत्र है इस स्त्रोत के जाप से व्यक्ति पर हनुमान जी की कृपा सदैव बनी रहती है
1. मारुति स्त्रोत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है.
2. मारुती स्तोत्र के जाप से व्यक्ति के चारों नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है.
3.मारुति स्त्रोत एक ऐसा अद्भुत स्त्रोत्र है जिस स्त्रोत्र के हिसाब से व्यक्ति के जीवन में भय का नाश होता है.
4. मारुती स्तोत्र के जाप से गृह क्लेश दूर होता है और कोर्ट कचहरी के केस सुलझ जाते हैं या किसी भी प्रकार की शत्रु बाधा हो वह भी मुक्त हो जाते हैं.
5.
और इस स्त्रोत्र के जाप से किसी भी प्रकार का रोग हो या किसी भी प्रकार की अन्य परेशानी हो उस से भी मुक्ति मिल जाती है
6. इस स्त्रोत्र के जाप से टोना टोटका या किसी व्यक्ति ने कुछ करा दिया हो किसी भी प्रकार का कोई भय हो इत्यादि कार्य से मुक्ति मिलती है.
7.और मारुती स्तोत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में एक अद्भुत बदलाव होता है.
8. मारुति स्त्रोत्र एक ऐसा अद्भुत स्त्रोत है इसे स्त्रोत के हिसाब से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति के अंदर सद्गुणों का विकास होता है.
9. यह मारुति स्त्रोत एक अद्भुत मारुति स्त्रोत है इसके जाप से व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है जो हर समय व्यक्ति के सब बुरी चीजों से उसकी रक्षा करता है.
ब्रह्म रूपी मारुती स्तोत्र पढ़ने की विधि(how to chant maruti stotra)
1. वैसे तो हनुमान जी की पूजा किसी भी बात से शुरू की जा सकती है लेकिन मंगलवार अत्यधिक शुभकारी माना जाता है.
2.आप सभी लोग जानते हैं कि हनुमानजी चिरंजीवी है आपको अपने मंदिर में हनुमान जी की एक ऐसी तस्वीर होनी चाहिए जो आपको कृपा देने वाली मुद्रा में होनी चाहिए.
3.हनुमान जी के सामने एक घी का दिया जलाएं और आपको यह अनुभूति होनी चाहिए कि आप जो पूजा कर रहे हैं वह साक्षात हनुमान जी की आगे बैठकर कर रहा हूं.
4. मारुती स्तोत्र का पाठ वैसे तो प्रातः काल और सायंकाल के समय करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है.
5. और इस स्तोत्र का पाठ स्नानादि से निवृत्त होकर के ही करना चाहिए.
6.मारुती स्तोत्र के पाठ के जाप से पहले आप हनुमान चालीसा का जाप कर सकते हैं और हनुमान चालीसा से पहले आप राम रक्षा स्त्रोत का जाप कर सकते हैं.
7.और पाठ समाप्त करने के बाद राम जी की आरती करें और हनुमान जी की आरती करें.
मारुती स्तोत्र के जाप मैं बरती जाने वाली सावधानियां(bhimrupi hanuman stotra)
2.जो भी व्यक्ति मारुति स्त्रोत का जाप कर रहे हैं वह एक सही जगह या फिर मंदिर में करें.
3. पाठ करने वाले व्यक्ति को नकारात्मक प्रभाव वाली चीजें जैसे बीड़ी सिगरेट गुटका पान मसाला और बुरी से बुरी चीजों से दूर रहना चाहिए.
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4 Comments
श्री हनुमान चालीसा
ReplyDeleteHanuman ji is one of the most powerful deities in the world.
ReplyDeleteThank you for sharing this insightful content about the Hanuman Chalisa! I found it incredibly helpful in deepening my understanding. As someone passionate about spreading the wisdom of the Hanuman Chalisa, I recently launched a website, Hanuman-chalisa.in where I explore various aspects of this sacred text. I would love to hear your thoughts on it. Let's continue to foster a community that appreciates and learns from the profound teachings of Hanuman Chalisa. 🙏 Jai Bajrangbali 💪
ReplyDeleteHanuman Chalisa is very good to recite in every day and every situation to get the blessings of Bajrangbali.
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