saptamukhi hanuman kavach| [fayde/PDF]असाध्य रोगों को दूर करने वाला दुर्लभ|सप्त मुखी हनुमान कवच


 saptamukhi hanuman kavach| [fayde/PDF]असाध्य रोगों को दूर करने वाला दुर्लभ|सप्त मुखी हनुमान कवच|


   



  हिंदू धर्म में विभिन्न देवी देवताओं का जिक्र किया गया है और सभी के पास चमत्कारिक शक्तियां हैं लेकिन जब बात हनुमान जी की आती है तो उनकी एक अलग ही छवि है|

 पुरानी कहानियों के अनुसार हनुमान जी पर अनेक प्रकार की शक्तियां हैं जैसे अष्ट सिद्धियां नौ निधियां और हनुमान जी को विभिन्न देवी देवताओं द्वारा वरदान में अत्यंत शक्ति प्राप्त है|

 और हनुमान जी हर युग में मौजूद रहे उन्हें कलयुग का देवता भी कहा जाता है अर्थात कलयुग में मानव की हर समस्या का समाधान हनुमान जी अवश्य करते है बजरंगबली की महिमा अपरंपार है और प्रभु के दर्शन मात्र से हमारे सारे कष्ट नष्ट हो जाते हैं|

 हनुमान जी अपने भक्तों की परेशानी को  हमेशा दूर करते हैं चाहे परेशानी कैसी क्यों ना चाहे शत्रु डर लगता हो या किसी प्रकार का कोई रोग है


  आज हम ऐसे ही महामंत्र जो कि हनुमान जी से जुड़ा हुआ है उसकी चर्चा करेंगे सप्तमुखी हनुमान कवच इस कवच के बारे में यह लिखा है 

कि जो व्यक्ति इस कवच का तीनों संध्या में पाठ करता है उसके सभी शत्रु नष्ट हो जाते हैं और यह धन प्राप्ति में भी सहायक है और सभी प्रकार का उसे राज्य सुख मिलता है और सभी प्रकार के रोगों का विनाश हो जाता है और सामाजिक मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है



              


              सप्तमुखी हनुमत्कवचम्

विनियोग:-
ॐ अस्य श्रीसप्तमुखीवीर हनुमत्कवचस्तोत्रमन्त्रस्य  नारदऋषिः  अनुष्टुप्छन्दः श्रीसप्तमुखीकपिः परमात्मादेवता ह्रां बीजम्  ह्रीं शक्तिः ह्रूं कीलकम् मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।


ॐ ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |

ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः |

ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः |

ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः |

ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः |

ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |

 आप इस प्रकार करण्यास और हृदय न्यास कर सकते हैं

ॐ ह्रां हृदयाय नमः |

ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा |

ॐ ह्रूं शिखायै वषट् |

ॐ ह्रैं कवचाय हुं |

ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् |

ॐ ह्रः अस्त्राय फट् |


 अब इसके बाद आप सत्यम की हनुमानजी का ध्यान कर सकत हो इसके लिए आप सप्तमुखी हनुमान जी की मूर्ति का प्रयोग या तस्वीर का प्रयोग कर सकते हो

                अथ ध्यानम् ।

वन्देवानरसिंहसर्परिपुवाराहाश्वगोमानुषैर्युक्तं

सप्तमुखैः करैर्द्रुमगिरिं चक्रं गदां खेटकम् ।

खट्वाङ्गं हलमङ्कुशं फणिसुधाकुम्भौ शराब्जाभयान्

शूलं सप्तशिखं दधानममरैः सेव्यं कपिं कामदम् ॥




दिग्बन्ध:- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः इतिदिग्बन्ध

                ब्रह्मोवाच 

सप्तशीर्ष्णः प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम् जप्त्वा हनुमतो नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते||


सप्तस्वर्गपतिः पायाच्छिखां मे मारुतात्मजः सप्तमूर्धा शिरोऽव्यान्मे सप्तार्चिर्भालदेशकम् ||



त्रिःसप्तनेत्रो नेत्रेऽव्यात्सप्तस्वरगतिः श्रुती नासां सप्तपदार्थोऽव्यान्मुखं सप्तमुखोऽवतु ||



सप्तजिह्वस्तु रसनां रदान्सप्तहयोऽवतु सप्तच्छन्दो हरिः पातु कण्ठं पातु गिरिस्थितः ||



करौ चतुर्दशकरो भूधरोऽव्यान्ममाङ्गुलीः सप्तर्षिध्यातो हृदयमुदरं कुक्षिसागरः ||



सप्तद्वीपपतिश्चित्तं सप्तव्याहृतिरूपवान् कटिं मे सप्तसंस्थार्थदायकः सक्थिनी मम ||



सप्तग्रहस्वरूपी मे जानुनी जङ्घयोस्तथा सप्तधान्यप्रियः पादौ सप्तपातालधारकः ||



पशून्धनं च धान्यं च लक्ष्मीं लक्ष्मीप्रदोऽवतु दारान् पुत्रांश्च कन्याश्च कुटुम्बं विश्वपालकः ||



अनुक्तस्थानमपि मे पायाद्वायुसुतः सदा चौरेभ्यो व्यालदंष्ट्रिभ्यः श्रृङ्गिभ्यो भूतराक्षसात् ||



दैत्येभ्योऽप्यथ यक्षेभ्यो ब्रह्मराक्षसजंगायात् दंष्ट्राकरालवदनो हनुमान् मां सदाऽवतु ||



परशस्त्रमन्त्रतन्त्र यन्त्राग्निजलविद्युतः रुद्रांशः शत्रुसङ्ग्रामात्सर्वावस्थासुसर्वभृत||



् ॐ  नमो भगवते सप्तवदनाय आद्यकपिमुखाय वीरहनुमतेसर्वशत्रुसंहारणाय ठं ठं ठं ठं ठं ठं ठं ॐ नमः स्वाहा



ॐ नमो भगवते सप्तवदनाय द्वीतीयनारसिंहास्याय अत्युग्रतेजोवपुषेभीषणाय भयनाशनाय हं हं हं हं हं हं हं ॐ नमः स्वाहा



ॐ  नमो भगवते सप्तवदनाय तृतीयगरुडवक्त्राय वज्रदंष्ट्रायमहाबलाय सर्वरोगविनाशनाय मं मं मं मं मं मं मं ॐ नमः स्वाहा



ॐ  नमो भगवते सप्तवदनाय चतुर्थक्रोडतुण्डाय सौमित्रिरक्षकायपुत्राद्यभिवृद्धिकराय लं लं लं लं लं लं लं ॐ नमः स्वाहा



ॐ  नमो भगवते सप्तवदनाय पञ्चमाश्ववदनाय रुद्रमूर्तये सर्व-वशीकरणाय सर्वनिगमस्वरूपाय रुं रुं रुं रुं रुं रुं रुं ॐ नमः स्वाहा




ॐ  नमो भगवते सप्तवदनाय षष्ठगोमुखाय सूर्यस्वरूपायसर्वरोगहराय मुक्तिदात्रे ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ नमः स्वाहा




ॐ  नमो भगवते सप्तवदनाय सप्तममानुषमुखाय रुद्रावताराय

अञ्जनीसुताय सकलदिग्यशोविस्तारकाय वज्रदेहाय सुग्रीवसाह्यकराय

उदधिलङ्घनाय सीताशुद्धिकराय लङ्कादहनाय अनेकराक्षसान्तकाय



रामानन्ददायकाय अनेकपर्वतोत्पाटकाय सेतुबन्धकाय कपिसैन्यनायकाय

रावणान्तकाय ब्रह्मचर्याश्रमिणे कौपीनब्रह्मसूत्रधारकाय रामहृदयाय



सर्वदुष्टग्रहनिवारणाय शाकिनीडाकिनीवेतालब्रह्मराक्षसभैरवग्रह-यक्षग्रहपिशाचग्रहब्रह्मग्रहक्षत्रियग्रहवैश्यग्रह-शूद्रग्रहान्त्यजग्रहम्लेच्छग्रहसर्पग्रहोच्चाटकाय ममसर्व कार्यसाधकाय



सर्वशत्रुसंहारकाय सिंहव्याघ्रादिदुष्टसत्वाकर्षकायै काहिकादिविविधज्वरच्छेदकाय



परयन्त्रमन्त्रतन्त्रनाशकाय सर्वव्याधिनिकृन्तकाय सर्पादिसर्वस्थावरजङ्गमविषस्तम्भनकराय



सर्वराजभयचोरभयाऽग्निभयप्रशमनाया आधिव्याधिप्रशमनायाध्यात्मिकाधि-दैविकाधिभौतिकतापत्रयनिवारणाय

सर्वविद्यासर्वसम्पत्सर्वपुरुषार्थ-दायकायाऽसाध्यकार्यसाधकाय

सर्ववरप्रदायसर्वाऽभीष्टकराय

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः ॐ नमःस्वाहा 




य इदं कवचं नित्यं सप्तास्यस्य हनुमतः

त्रिसन्ध्यं जपतो नित्यं सर्वशत्रुविनाशनम् पुत्रपौत्रप्रदं सर्वं सम्पद्राज्यप्रदंपरम्



सर्वरोगहरं चाऽऽयुःकीर्त्तिदं पुण्यवर्धनम् राजानं स वशं नीत्वा त्रैलोक्यविजयी भवेत

् इदं हि परमं गोप्यं देयं भक्तियुताय च न देयं भक्तिहीनाय दत्वा स निरयं व्रजेत्


नामानिसर्वाण्यपवर्गदानि रूपाणि विश्वानि च यस्य सन्ति ।

कर्माणि देवैरपि दुर्घटानि तं मारुतिं सप्तमुखं प्रपद्ये




  
     सप्त मुखी हनुमान कवच के फायदे(saptamukhi Hanuman kavach benefit in Hindi )


 1.  यह स्त्रोत अत्यंत ही चमत्कारी स्त्रोत है इसे स्त्रोत का पाठ जो भी व्यक्ति तीनों संध्या में करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.


2. इस स्तोत्र का पाठ जो भी व्यक्ति करता है उस पर कोई भी संकट आने वाला हो वह पहले से ही चला जाता है.

3.स्तोत्र का पाठ करने से समाज में अलग ही प्रतिष्ठा होती है उस व्यक्ति की और मान-सम्मान धन दौलत की प्राप्ति होती है.
  
 
राम जी के प्रातः कालीन मंत्र

   

  
      
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